मुझे उम्मीद हैं , (डायबिटीज क्या है,डायबिटीज कैसे होती है और डायबिटीज के उपचार क्या हैं) को समझने में मधुमेह की समस्या (Diabetes) को ठीक करने के लिए करने में यह लेख काफी मददगार रहेगा | यह जानकारी आपको कितनी मददगार लगी ,और किस विषय पर आप जानकारी चाहते हैं कमैंट्स करके जरूर बताएं |
डायबिटीज क्या है ( What is Diabetes in Hindi)
डायबिटीज एक रोग है जो शरीर की शुगर स्तर को नियंत्रित करने में समस्या उत्पन्न करता है। यह एक अमान्यता है जिसमें इंसुलिन, जो एक विशेष हार्मोन है और जिगर (Liver) द्वारा बनाया जाता है, को ठीक से उपयोग नहीं किया जा सकता है या फिर पूरा नहीं किया जा सकता है।
इंसुलिन का मुख्य कार्य है खाद्य (Food) से ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं (Cells) में प्रवाहित करना, जो उसे ऊर्जा (Energy) में बदलता है। जब इंसुलिन का उपयोग या उत्पन्न होने में कोई कमी होती है, तो शरीर का शुगर स्तर बढ़ जाता है और डायबिटीज का होना शुरू हो जाता है।
डायबिटीज के प्रकार दो होते हैं: पहला है टाइप 1 डायबिटीज, जिसमें इंसुलिन शरीर में नहीं बनता है, और दूसरा है टाइप 2 डायबिटीज, जिसमें शरीर इंसुलिन का सही रूप से उपयोग नहीं कर पाता है।
डायबिटीज के लक्षण में शामिल हैं: बहुत ज्यादा प्यास और भूख, अत्यधिक मूत्र निकलना, थकान, वजन कमी, और रात्रि में अधिकांश मूत्र निकलना।
डायबिटीज कैसे होती है
हर बीमारी का कोई न कोई इलाज होता है , परंतू मधुमेह (Diabetes) एक ऐसी बीमारी है | जो किसी को हो जाए तो इसे कंट्रोल करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता । मधुमेह जिसे हम शुगर (Blood sugar ) के नाम से भी जानते हैं
आज के युग में एक गंभीर समस्या है। मधुमेह को साइलेंट किलर (Silent killer) भी कहा जाता है। जैसे वाहन को चलाने के लिए ऊर्जा (energy) के रूप में ईधन की जरूरत होती हैं। वैसे ही हमारे शरीर को ऊर्जा के रूप में ग्लूकोज (Glucose) की जरूरत होती हैं।
ग्लूकोज हमे हमारे खाद्ध पदार्थ (Food) से प्राप्त होता है । जिसे रक्त (blood) के माध्यम से हमारे कोशिका(cells) तक पहुचाया जाता है। अब ग्लूकोज को कोशिका के अंदर जाने के लिए पैंक्रियाज (Pancreas) द्वारा बनाई गई इंसुलिन (insulin) एक चाभी का काम करती है।
इंसुलिन के बिना ग्लूकोज ब्लड में प्रवेश नहीं कर पाता। जिसका मतलब है, अगर इंसुलिन ना हो तो ग्लूकोज कोशिका के अंदर प्रवेश नहीं कर पाएगा और ब्लड में ही रह जाएगा। जिससे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ रही होती हैं , जिसे हम मधुमेह कहते हैं। मधुमेह आगे जाकर हार्ट अटैक (Heart attack) जैसी समस्या का कारण बन सकता है।
अब हम मधुमेह ( Diabetes Treatment) की समस्या और उसके निवारण पर चर्चा करते हैं
मधुमेह को क्यों नियंत्रण करे ( Why is diabetes treatment needed?)
मधुमेह एक ऐसी बीमारी है। जिसे अगर कंट्रोल नहीं किया जाए , तो एक गंभीर समस्या का रूप ले सकती है।जैसे –
- ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने पर ब्लड के धमनियों को नुकसान होता है।
- यहां तक कि दिल, गुर्दे, आंख, नसें ऐसे ही अन्य और भी शरीर के हिस्से खराब हो सकते हैं।
- मधुमेह में ज्यादा पेशाब आने के कारण ,निर्जलीकरण (Dehydration) जैसी समस्या भी हो सकती हैं ।
- वजन का घटना (weight loss) मधुमेह में तेजी से होता है। बिना कोई अतिरिक्त प्रयास किए ,जो कि एक गंभीर समस्या का रूप ले सकता है।
मधुमेह के लक्षण ( Symptoms of Diabetes in hindi)
- वजन का नॉर्मल से ज्यादा तेज बढ़ना (Weight Gain)
- बिना कारण वजन का तेजी से कम होना( Weight loss)
- हमेशा थका - थका महसुस करना ( feel tired)
- छोटी - छोटी बात में टेंशन (Tension) लेना।
- कोलेस्ट्रोल स्तर ( cholesterol level) का बढ़ना।
- कभी कभी आँखों से धुंधला दिखाई देना ( night blindness)
- ज्यादा भूख और प्यास लगना (excessive hunger and thirst)
- बार बार पेशाब का आना (frequent urination)
- पानी पीने के बाद भी बार बार मुंह का सुखना (Frequent dry mouth)
मधुमेह (Diabetes) तीन तरह के होते हैं -
- टाइप 1 मधुमेह ( Type-1 Diabetes)
- टाइप 2 मधुमेह ( Type-2 Diabetes)
- गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes mellitus.)
टाइप 1 मधुमेह (Diabetes Type-1)
टाइप 1 मधुमेह (Diabetes type-1) के बहुत कम मरीज देखने को मिलते हैं। आए जानते हैं टाइप 1 मधुमेह कैसे होता है।
ग्लूकोज (Glucose) को कोशिका (Cells) में प्रवेश करने के लिए इंसुलिन(insulin) की आवश्यकता होती है। अगर पैंक्रियाज (pancreas) किसी कारण वस इंसुलिन नहीं बना पाता या किसी दुर्घटना के कारण आप के पैनक्रियाज को शरीर से निकालना पडे, तो ऐसी परस्थिति में ग्लूकोज भी कोशिका में नहीं जा पाएगा जो की टाइप-1 मधुमेह का कारण बनता है।
टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के उम्र की कोई सीमा नहीं होती है। टाइप 1 मधुमेह किसी को भी हो सकता है। टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को बराबर समय पर इंसुलिन की खुराक (insulin dose) लेने की आवश्यकता पड़ती है।
- टाइप 1 मधुमेह के उपाय (Type 1 Diabetes Remedies)
टाइप 1 मधुमेह (Diabetes type 1) में बॉडी में इंसुलिन (Insulin) की पूर्ति ना होने के कारण , मरीज को बाहर से इंजेक्शन ( injection) द्वारा बॉडी में इंसुलिन (insulin dose) लेना पड़ता है।
टाइप 2 मधुमेह (Diabetes Type-2)
मधुमेह (Diabetes type 2) एक ऐसी बीमारी है, जो एक बार साथ पकड़ ले तो जीवन पर्यन्त साथ नहीं छोड़ती है । ऐसी परिस्थिति मे मरीज को मधुमेह कंट्रोल (how to control blood sugar level) में रखने के लिए हमेशा अंग्रेजी दवा (medicine)लेना पड़ता है, जिसके दुष्प्रभाव (side effect) भी होते है।
जिसमे समझ नहीं आता दवा ले या ना ले। ऐसे मे सबसे बढ़िया घरेलु और प्राकृतिक उपाय ( natural home remedies) होता है। मधुमेह से बचने के कुछ घरेलू उपाय (diabetes treatment ) जिसे करने से आप को किसी प्रकार की कोई भी अन्य दवा लेने की कोई जरूरत नहीं है।
डायबिटीज के उपचार क्या हैं
- घरेलु और प्राकृतिक उपाय ( Natural home remedies for Diabetes type 2)
सादा भोजन करे, भोजन जैसे चपाती, दाल, सब्जी में कढ़ी के पत्ते का प्रयोग करें। हरी पत्तेदार सब्जियाँ ( leafy grean vegetables) ज्यादा से ज्यादा खाएं। सब्जियों ,में भिंडी , करेला, तोरई , लौकी , पालक , मेथी , चौलाई , आदि शामिल करें।
जामुन के 3 से 4 महीने के सीजन (season) में रोज 8 से 10 जामुन खाएं , और जब जामुन का सीजन खत्म हो जाए । तो जामुन का बीज एकत्रित करके उसका अच्छे से पाउडर बनाएं ,और उसमे काला नमक मिलाकर पूरे साल रोजाना खाए ।
- आयुर्वेद का जादू, मधुमेह काबू ( Ayurvedic Medicine for Diabetes )
अगर आप जल्दी ब्लड शुगर लेवल ( Diabetes) कण्ट्रोल करना चाहते हैं , या अपनी दिनचर्या में यह सब शामिल नहीं कर पा रहे हैं । तो आप आयुर्वेदिक मेडिसिन (Ayurvedic Medicine) फिलॉजिक्स डायबिटीज केयर(Philogics Diabetes Care) ले सकते हैं |
यह काफी अच्छी और असरदार दवा है , शुद्ध आयुर्वेदिक(Pure ayurvedic) है और बेल पत्र , करेला , मूसली सफ़ेद अरारोट आदि जड़ी-बूटिओं से मिलकर बनी है । यह इन्सुलिन को सक्रिय ( Activate insulin) करके रक्त शर्करा (blood sugar) को नियंत्रित करती है
गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes mellitus.)
तीसरी तरह की डायबिटीज़, गर्भवती महिला को गर्भ के समय (Pregnancy time)गर्भ मे मौजूद प्लेसेंटा यानि अपरा इंसुलिन को कोशिका तक जाने से रोकता है।
जिससे ग्लूकोज कोशिका में प्रवेश नहीं कर पाता ,और खून मे ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। गर्भकालीन मधुमेह गर्भ के अंत तक साथ ही समाप्त हो जाता है। गर्भकालीन मधुमेह के समय ज्यादा दिक्कत होने पर डॉक्टर के आदेशानुसार महिला को इंसुलिन का इंजेक्शन भी लेना होता है।
- जो सेहत से करें प्यार, आयुर्वेद से कैसे करें इंकार।
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