हिताहितं सुखं दुःखमयुस्तस्य हिताहितं।
मानश्च तश्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते।।
जिस शास्त्र में आयु सम्बन्धी हित अवस्था, अहित अवस्था , सुखी अवस्था, दुःखी अवस्था, आयु , आयु का हित और अहित तथा आयु का परिमाण यथार्थ रूप से कहे हों , उसे आयुर्वेद कहते हैं।